Tuesday, February 12, 2008

राष्ट्र प्रेम

राष्ट्र प्रेम भरा हो जिसमे ,वेही वीर कहलाता है ।
''बलिदानी'' का पहन के सेहरा, रण भूमि को जाता है ।।
जीवन ,मोह ,सुख ताज तन अपने का, जो शोर्य तिलक लगाता है ।
बिंध बोध दुश्मन की छाती ,''रणभेरी '' कोण बजाता है ?
राष्ट्र प्रेम भरा हो --------------रण भूमि को जाता है ॥

तोपों की हो भारी गर्जन, गोलों की होती रहे बोछार ॥
नही घबराता वीर बाकुरा,''अमोध '' शस्त्र का कर संचार ॥
दुश्मन पाँव सिर रख कर भागे , युद्ध जी कोन घर आता है ?
राष्ट्र प्रेम भरा हो जिसमे ---------रण भूमि को जाता है ॥

देवी प्रकोप, प्रगति, बाधाएं, अंतर बाहर शत्रु तांडव हो ।
एक एक सब चुन चुन संघारे , जो विद्रोही राष्ट्र अतिदानव हो ॥
उस बलिदानी को नतमस्तक हमारा , नव सिरजन राह दिखाता है ॥
राष्ट्र प्रेम भरा हो जिसमें ----------रण भूमि को जाता है ॥

जीवन ,मोह,सुख,ताज तन अपने का , जो शोर्य तिलक लगाता है ।
राष्ट्र प्रेम भरा हो जिसमें , वाही वीर कहलाता है ॥

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