हार जीत तो खेल हमारे । हर दम खेले वीर और धीर ॥
गोली चले चाहे तलवारे । चाहे चले बरछे व तीर ॥
अंत हार दुश्मन की होगी । हमेशा जीतेंगें हम वीर ॥
हार जीत तो खेल हमारे । हर दम खेले वीर और धीर (२)
वन उपवन और खेत बाग़ में । हमेशा खेलें वीर किसान ॥
भूखा प्यासा भले ही रह जाए । कोठे भर भर दे धन धान्य ॥
महेनत करनी कितनी पड़ जाय । टूट जाए चाहे सारा शरीर ॥
हार जीत तो खेल हमारे । हर दम खेले वीर और धीर (३) ॥
शिक्षक वैज्ञानिक व बुद्धि जीवी । देते शिक्षा उच्च विचार ॥
आर्थक सार्थक सर्व सिद्धि में । बड़ गए आगे हाथ बाज़ार ॥
''पृथ्वी - आकाश '' प्रक्षेपण कर दिए । दुश्मन को देंगें नभ चीर ॥
हार जीत तो खेल हमारे । हर दम खेले वीर और धीर ।। (४)
कर्म वीर व श्रम वीर जब मिल जाते हैं । धन कुबेर व उधर्म वीर ।
''महा बलशाली '' बन जायेगा । माँ भारत का यह शरीर ॥
हार जीत तो खेल हमारे । हर दम खेले वीर और धीर ॥
गोली चले चाहे तलवारें । चाहे चले बरछे व तीर ॥
अंत हार दुश्मन की होगी । हमेशा जीतेंगे हम वीर ॥
समाप्त ।
Thursday, February 21, 2008
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