Saturday, March 1, 2008

काव्य गीत -- तेरे मन में,मेरे मन में -एक ही तो राम हो

सुनो भारत के पूत प्यारे । यही एक शुभ काम हो ॥
तेरे मन में मेरे मन में । एक ही तो राम हो ॥
भिन भिन हो आस्थाएं । पर एक ही तो परिणाम हो ॥
मातृ भाव या राष्ट्रीयता का । सदा शुभ परिणाम हो ॥
तेरे मन में मेरे मन में । एक ही तो राम हो ------------------------

अपने को तो सोच पहले । तू में '' मैं '' हो जायेगा ॥
तेरा मेरा मन कृष्ण बन । राष्ट्र को जितायेगा ॥
सुख समृधि से भरे । पुर नगर चाहे ग्राम हो ॥
हे मानव तेरे जीवन में । एक ही तो राम हो ---------------------------- २

धर्मो की शुभ आस्थायएं । एक ही प्रतीत हो ॥
प्रेम भाई चारे के बन्धन । एक रस्में रीत हो ॥
इश्वर भक्ति राष्ट्र भक्ति । सर्व हृदय निष्काम हो ॥
हे मानव तेरे जीवन में । यही एक शुभ काम हो ॥
तेरे मन में मेरे मन में । एक हो तो राम हो ------------------------------३

सत्य धरम की जीत हो । और विश्व का कल्याण हो ॥
सद्भाव्नाएं सब की बने । तो मुश्किलें आसन हो ॥
कंस रावण न रहे कोई । सब कृष्ण व श्री राम हो ॥
मानव तेरे जावन में । यही सदा शुभ काम हो ॥
तेरे मन में मेरे मन में । एक ही तो राम हो -------------------------------4

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