भारत मेरा गर्व करे । यही हमारा सपना है ॥
अपने पराये का स्वार्थ छोड़ो । प्रेम रासयाँ रसना है ॥
राष्ट्र भक्ति में प्रेम शक्ति है । सर्व सिद्धि की रचना है ॥
सुख स्म्रिधि धन धान से भर दो । क्यों की यह घर अपना है ॥
भारत मेरा गर्व करे .........यही हमारा सपना है ......................................(१)
ध्रुव अटल हमारा भारत राष्ट्र है । जन तंत्र को न आघात हो ॥
मुद्ध मंगलमय सु प्रभात हो । शुर वीरो का तेज प्रताप हो ॥
सश्य ,श्यामल बन खंडो में, मधुर कोकिला सा आलाप हो ॥
बलिदानी वीर सपूतों के राज चरणों को , सिर मस्तक लाकर रखना है ॥
भारत मेरा गर्व करे .....यही हमारा सपना है ................................................(२)
शेत्र वाद व जाती वाद , सब वाद विवाद मिटाने हैं ॥
जन हित राष्ट्र वाद के दीपक , घर घर आज जलने हैं ॥
पुरातन सुनातन संस्कृति से ले , नए अलंकार सजाने है ॥
कृषि , शिक्षा, विज्ञान अनुसाध्नो के नए नए पोध लगाने हैं ॥
भारत मेरा गर्व करे , यही हमारा सपना है .......................................................(३)
परिवार जाती से ऊपर उद् कर , देश हित की बात करे ॥
देश द्रोहियूं को को सबक सीखा दे , सो सो इनको घाट करें ॥
शहीदों के खून अभी सूखे कहाँ हैं । दुश्मन से क्यों बात करें ॥
भारत हमारा बलशाली रहे , बलिदानियों का सच्चा सपना है ॥
भारत मेरा गर्व करे ,यही हमारा सपना है ............................................................(४)
भारत मेरा गर्व करे ,यही कमार सपना है ।
अपने पराये का स्वार्थ छोड़ो ये सारा भारत अपना है ॥
Wednesday, March 12, 2008
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