Thursday, March 6, 2008

काव्य भूगोल (पाठ पहला )

(१) पृथ्वी गोल व दिन रात के कारण -
छात्र कक्षा में गुरूजी से प्रश्न पूछते हैं ।
गुरूजी ! धरती चपटी है या गोल ?
घूम घूम क्यों चक्कर काटे , दिन रात कैसे हो जाते ?
सर्दी ,गर्मी या बसंत । पतझड़ शिशिर कभी हेमंत ॥
वर्ष मास व दिन रात । गुरूजी हमे समजाहो सब बात ॥

गुरु जी :- आओ बंच्चो पदों भूगोल , बताऊं धरती क्यों है गोल ?
(१) सूर्य , चंद्र , नक्षत्र व तारे, बच्चो दिखते गोल हैं सारे ॥
(२) दूर समुन्द्र में नज़र दोड़ाओ । जल में जहाज आता पाओ ॥
ज्यों ज्यों जहाज पास है आता । दिखेगी पहले उंची पताका ॥
उपरी भाग फ़िर निचला हिसा । कारण पृथ्वी गोल का किस्सा ॥
(3) तेज गति की गाड़ी लाओ । एक दिशा दोडाते जाओ ॥
जहाँ से बच्चो दोड लगाई । चक्कर काट वाही फिर आई ॥
पृथ्वी बच्चो गोल न होती । चले जहाँ से व ठोर न होती ॥
चपटी नही है पृथ्वी गोल । इसी को कहते हैं ''भूगोल " ॥
(४) ऊँचा चढ़ जरा नज़र दोड़ाओ , भू नभ को मिलता पाओ ॥
शितिज दिखाई देगा गोल , क्यूंकि हमारी पृथ्वी गोल ॥
(५) ग्रहण में छाया दिखती गोल । क्यूंकि हमारी पृथ्वी गोल ॥


(पाठ -२) दिन व रात
गुरु जी ! बचचो सुनलो आज ये पाठ ।
कैसे बनते हैं दिन रात ?

पृथ्वी घूम रही है ऐसे । तुम्हारे लट्टू घूमे जैसे ॥
जो गोला हो सूर्य के आगे । कहलाये दिन ,अँधेरा भागे ॥
यही भाग दिन कहलाता । प्रातः दोपहर , सायं हो जाता ॥
सांझ ढले सूर्य न दे दिखाई । सम्जोह बरी रात की है आई ॥
पूर्वी गोलार्ध घूम गया आगे । छिप गया सूरज तारे चमकने लागे ॥
संध्या, रात्री , फिर उषा काल । समझ जाओ बच्चो दिन रात का हाल ॥
चोबिस घंटे का पूरा चक्कर लो गिन । बारह रात व बारह घंटे का दिन ॥
पूर्वी गोलार्ध व पश्चिमी गोलार्ध । मनो धरती बटा दो भाग ॥
दैनिक गति बनती दिन -रात । समझे बच्चो भूगोल की बात ॥

बच्चे मिलकर :- गुरु जी सम्जः गए आप की बात ।
कैसे बन जाते हैं दिन व रात ॥


(पाठ ३ ) वर्ष ऋतुएं
(१) बच्चें गुरूजी से ॥ गुरूजी हमे कृपया बताये । वर्ष ऋतुएं कैसे बन जाएँ ?
(2)गुरूजी :- पृथ्वी सूर्य के चक्कर काटे । एक वर्ष छः ऋतुओं में बाटे ॥
(3)छः ऋतुएं और बारह मास । सुन लो नाम ,जरा आओ मेरे पास ॥
(4) ३६५ दिन पूरे व एक दिन का चोथा भाग ।
वार्षिक गति का चक्कर पृथ्वी लगा रही आबाद्ध ॥
(५) गर्मी, पतझड़ और बसंत । सर्दी , शिशिर व हेमंत ॥
(६) प्रतेयक ऋतू रहती दो मांस । प्रकृति भूगोल का सदा यही इतिहास ॥
(७)तीस दिन का मास कहलाता । बारह मास का एक वर्ष ॥
(8)महीनों के बच्चों सुन लो नाम । आयेगा आगे तुम्हारे काम ॥
(९)जनवरी , फरवरी ,मार्च , अप्रिल ,मई , जून , जुलाई , अगस्त , सितम्बर ।
ओक्टूबर , नवम्बर व बारहवां दिसम्बर ॥
तीस दिन सितम्बर के । व अप्रिल ,जून , नवम्बेर के ॥
चोथा वर्ष लीप कहलाता । फरवरी में एक बढ़ जाता ॥
इकतीस दिन के बाकी मास । वार्षिक , ऋतुओं का यही इतिहास ॥
पृथ्वी झुकी ६६.५ अंश सूर्य के आगे । उतरी ध्रुव पीछे कभी दक्षिणी ध्रुव आगे ..








2 comments:

Unknown said...

bohat sunder......

Ravi Sharma said...

Very Interesting.. well described..